भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सांसद डॉ. संजय जायसवाल ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ को देश के विकास के लिए ऐतिहासिक और परिवर्तनशील कदम करार दिया है। उन्होंने इसे न केवल समय और धन की बचत करने वाला, बल्कि शासन और विकास को स्थिरता प्रदान करने वाला कदम बताया।
डॉ. जायसवाल ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि देश में पहले भी एक साथ चुनाव होते थे, लेकिन कांग्रेस की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में इस परंपरा को तोड़ दिया गया। राज्यों में बार-बार राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने से यह व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार इसे फिर से लागू करने के लिए दृढ़ संकल्पित है।
‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के फायदे
डॉ. जायसवाल ने बताया कि इस व्यवस्था से न केवल चुनाव पर खर्च होने वाली भारी राशि की बचत होगी, बल्कि चुनाव प्रक्रिया के कारण विकास कार्यों पर पड़ने वाले प्रभाव को भी रोका जा सकेगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि महाराष्ट्र में चुनाव होने पर बिहार के अधिकारियों को वहां भेजा जाता है, जिससे बिहार का विकास कार्य बाधित होता है।
समिति और संशोधन का उल्लेख
उन्होंने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता में एक समिति ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ को लेकर रिपोर्ट सौंपी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी है, और संविधान में 129वां संशोधन पेश करना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव शीतकालीन सत्र के दौरान जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) को भेजा गया है, जिसमें 39 सदस्य शामिल हैं।
अन्य समान नीतियों का लाभ
डॉ. जायसवाल ने ‘वन नेशन-वन टैक्स’ (जीएसटी) और ‘वन नेशन-वन राशन कार्ड’ का उदाहरण देते हुए कहा कि इन नीतियों का लाभ देशभर में लोगों को मिल रहा है। उन्होंने भरोसा जताया कि ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ भी देश को मजबूत और विकसित करने की दिशा में सफल कदम साबित होगा।
2034 से लागू करने का प्रस्ताव
उन्होंने कहा कि समिति ने इस व्यवस्था को 2034 से लागू करने की सिफारिश की है। केंद्र सरकार इस दिशा में गंभीरता से काम कर रही है और जल्द ही इसे लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी।
प्रेस वार्ता में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सिद्धार्थ शम्भु, मीडिया प्रभारी दानिश इकबाल, सह प्रभारी अमित प्रकाश ‘बबलू’, प्रवक्ता अरविंद सिंह, पियूष शर्मा और अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे।