कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे आज सामने आ गए हैं। जिसमें कांग्रेस की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनती हुई दिख रही है। इस नतीजे ने एक बार फिर से कर्नाटक में पिछले 38 साल से चले आ रहे रिवाज को बरकरार रखा है। दरअसल कर्नाटक में हर विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता परिवर्तन हो जाता है। भले ही किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिले या फिर त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बने। सत्ता परिवर्तन की रीत बरकरार रहती है। वर्ष 1985 के बाद से ही कर्नाटक के हर विधानसभा चुनाव में ये रीत चली आ रही है।
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1985 के बाद से कायम है सत्ता परिवर्तन की रीत
कर्नाटक की जनता का मूड हर पांच साल में बदल जाता है। जिसका असर कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में देखने को मिलता है। वर्ष 1985 के बाद से कर्नाटक की जनता ने किसी भी सरकार को पांच साल से ज्यादा का समय नहीं दिया है। आखिरी बार 1985 जनता पार्टी की सरकार सत्ता में वापसी करने में कामयाब रही थी। दरअसल उस वक्त जनता पार्टी का नेतृत्व रामकृष्ण हेगड़े कर रहे थे। 1983 से 1985 तक पहली बार कर्नाटक में गैर-कांग्रेसी सरकार बनी थी। वो सरकार जनता पार्टी की ही थी। हालांकि ये अल्पमत की सरकार थी जिसे भाजपा ने बाहर से समर्थन दिया था।
इसके बाद जब 1985 में कर्नाटक विधानसभा के चुनाव हुए तो उसमें जनता पार्टी ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए दुबारा से सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की। लेकिन इसके बाद के चुनावों में कभी भी सत्तारुढ़ दल लगातार दोबारा सत्ता में वापस नहीं कर पाई। इस बार के चुनाव में भी यही रीत कायम रही।
38 साल से हो रहा सत्ता परिवर्तन
1989 से 1994 तक- कांग्रेस की सरकार
1994 से 1999 तक- जनता दल की सरकार
1999 से 2004 तक – कांग्रेस की सरकार
2004 से 2007 तक- तीन सरकार ( कांग्रेस, जेडीएस, भाजपा)
2008 से 2013 तक- भाजपा की सरकार
2013 से 2018 तक- कांग्रेस की सरकार
2018 से 2023 तक- दो सरकार ( कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन, भाजपा)