2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए विपक्ष के दलों की साझा बैठक 23 जून को पटना में हो रही है। इस बैठक के संयोजक बिहार के सीएम नीतीश कुमार है। मिली जानकारी के मुताबिक यह बैठक दोपहर 12 बजे से शुरू हो सकती है। बैठक के लिए नीतीश कुमार ने अपने आवास 1, अणे मार्ग का चयन किया है। ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान, एमके स्टालिन जैसे नेता एक दिन पहले ही पटना पहुंच गए हैं। राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, अखिलेश यादव आदि शुक्रवार को पहुंचेंगे।
Bihar से विपक्षी एक की कोशिश
बिहार एक बार फिर देश में विपक्षी एका की धुरी बन इतिहास रचने जा रहा है। इस बार नीतीश कुमार ने यह कवायद शुरू की है। जिसमें कांग्रेस , वामदलों, राष्ट्रवादी कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, टीएमसी, पीडीपी जैसी क्षेत्रीय पार्टियों के शीर्ष नेता वैचारिक मतभेद भुलाकर एक मंच पर आ रहे हैं। बिहार से ऐसे प्रयास पहले भी हुए हैं। 1967 में केंद्र की कांग्रेस सरकार के खिलाफ छोटे दलों को एकजुट करने के डॉ. राममनोहर लोहिया के प्रयोग को बिहार ने सार्थक किया था। इसी का नतीजा था कि क्रांति दल जैसी सीमित जनाधार वाली पार्टी के महामाया प्रसाद से तत्कालीन मुख्यमंत्री केबी सहाय चुनाव हार गए थे। इतना ही नहीं 63 सीटें जीतने वाली संसोपा के नेता कर्पूरी ठाकुर उपमुख्यमंत्री बनाए गए और तीन सीटें जीतकर आए क्रांति दल के महामाया प्रसाद मुख्यमंत्री बने। तब लोहिया ने कहा था कि बड़े दलों को बड़ा दिल दिखाना चाहिए।
जेपी ने भी दिखाई थी राह
इसके बाद 1974 में जेपी ने केंद्र की कांग्रेस सरकार के खिलाफ संपूर्ण क्रांति का नारा दिया। जेपी आंदोलन में दलों की सीमाएं टूटीं थीं। कई दलों का विलय कर 23 जनवरी 1977 को जनता पार्टी बनी और केंद्र से कांग्रेस सरकार की विदाई हुई। इस बार फिर केंद्र की सरकार के खिलाफ विपक्ष गोलबंद हो रहा है। अगस्त 2022 में एनडीए से अलग होने के एक माह बाद नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों को एकजुट करने का अभियान शुरू किया था। इसमें राजद नेता तेजस्वी यादव उनके साथ साए की तरह रहे। नीतीश कुमार ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात से इस अभियान की शुरुआत की। उन्होंने तीन बार दिल्ली के अलावा पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों का दौरा किया। इन राज्यों में गैर भाजपा दलों के नेतृत्व से मुलाकात की।