बिहार के करीब 4 लाख नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बहुत बड़ा झटका दिया है। अदालत ने उनको साक्षमता परीक्षा को रद्द करने की मांग वाली याचिका गुरुवार को खारिज कर दी है। देश के शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया है कि सरकार के नियमों के अनुसार शिक्षकों को साक्षमता परीक्षा देनी होगी। अगर वह नियमों के अनुसार नहीं चलते हैं तो उन्हें नौकरी छोड़ देनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के प्रारंभिक शिक्षक संघ द्वारा आधार याचिका को खारिज कर दिया जिसमें साक्षमता परीक्षा को रद्द करने की मांग की गई थी। इससे पहले अप्रैल में पटना हाई कोर्ट ने भी इस तरह की मांग को खारिज कर दिया था।
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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी नागरथना और उज्जवल भुइयां की वेकेशन बेंच ने गुरुवार को परिवर्तन करी प्रारंभिक शिक्षक संघ और बिहार प्रारंभिक शिक्षक संघ की याचिका पर सुनवाई की। इस याचिका में संघ की ओर से बिहार शिक्षक नियमावली 2023 का विरोध जताया गया है। शिक्षकों को अगर राज्य कर्मी का दर्जा प्राप्त करना है तो उन्हें साक्षमता परीक्षा पास करनी होगी। बता दें कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से साक्षमता परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है।
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याचिका पर सुनवाई करते हुए बेंच ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र के निर्माण में मदद करते हैं। ऐसे में उन्हें अपने कौशल को बेहतर बनाने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। अदालत ने कहा कि हम देशभर और खास कर बिहार के बच्चों के शिक्षा के प्रति गंभीर हैं। अगर कोई शिक्षक नियम के अनुसार नहीं चलना चाहते हैं तो उसे इस्तीफा दे देना चाहिए। अगर कोई शिक्षक बच्चों के हित में सेवा देना चाहते हैं तो उन्हें साक्षमता परीक्षा देनी होगी।
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दूसरी और बिहार सरकार ने पहले ही स्पष्ट किया है कि सक्षमता परीक्षा पूरी तरह वैकल्पिक है। इसे पास करने वाले नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाएगा। बिहार लोक सेवा आयोग से भर्ती टीचरों के समान वेतन और अन्य सुविधा भी दी जाएगी। हालांकि जो शिक्षक सक्षमता परीक्षा नहीं देना चाहते हैं उन्हें सरकार नौकरी से नहीं निकाला जायेगा।