बिहार सरकार ने कैबिनेट निर्णय द्वारा बिहार अध्यापक शिक्षक नियुक्ति नियमावली-2023 में संशोधन पर शिक्षक संघ नाराज हैं। टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम का कहना है कि बिहार के बाहर के अभ्यर्थियों के लिए लिए शिक्षक नियुक्ति का फार्म भरने के लिए आदेश पारित करके बिहार के लाखों टेट एसटेट उत्तीर्ण शिक्षित बेरोजगार के भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। वर्तमान सरकार ने राज्य में होने वाले आगामी लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव के पूर्व अपने निजी राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए बिहार अध्यापक शिक्षक नियुक्ति नियमावली-2023 में संशोधन करते हुए इस प्रकार का आत्मघाती कदम उठाया है। जिसका गंभीर दुष्परिणाम आगामी विधान सभा चुनाव में सरकार को उठाना पड़ेगा। टीईटी शिक्षक संघ इस संशोधन का कङे शब्दों में निंदा करता है।
बिहार अध्यापक नियमावली : जंग बस इतनी कि ‘साहब को PM’ बनना था, बिहारियों को शिक्षक!
मानसून सत्र में सरकार का घेराव करेगा संघ
टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने आक्रोशपूर्ण एवं तल्ख स्वर में बताया कि पूर्व में जारी शिक्षक नियुक्ति नियमावली-2023 में इस प्रकार का कोई भी प्रावधान नहीं किया गया था। साथ ही साथ विभिन्न शिक्षक संघों के द्वारा नियमावली के विरूद्ध पटना उच्च न्यायालय में परिवाद भी दाखिल किया जा चुका है। ऐसे में सरकार के द्वारा हतोत्साहित होकर बारम्बार नियमावली में संशोधन करते हुए विभिन्न प्रकार के नये नये अनर्गल तथ्यों को शामिल कर बिहार के लाखों शिक्षित बेरोजगारों के खिलाफ सरकार के कुत्सित एवं विकृत मानसिकता को स्पष्ट रूप से परिलक्षित करता है। इसके खिलाफ बिहार के तमाम शिक्षक संघ एवं शिक्षक अभ्यर्थियों के द्वारा आगामी होने वाले मानसून सत्र में विधानमंडल का घेराव कर उग्र आन्दोलन एवं प्रदर्शन किया जाएगा। इसके लिए बिहार के सभी शिक्षक गोलबंद होकर एकजुट हो चुके हैं। साथ ही वह सरकार के किसी भी तुगलकी फरमान से हतोत्साहित होकर डरने वाले नहीं हैं।

संशोधन को बताया तुगलकी फरमान
अमित विक्रम का कहना है कि बिहार के शिक्षक एवं शिक्षा विरोधी सरकार शिक्षकों के प्रस्तावित आन्दोलन से घबराकर आनन फानन में ऊल-जूलूल तुगलकी फरमान जारी कर शिक्षकों का भयादोहन कर मानसिक शोषण करने पर आमादा है। जिसके खिलाफ में बिहार के सभी चार लाख कार्यरत शिक्षकों के साथ उनके परिजन एवं लाखों शिक्षक अभ्यर्थी एवं उनके परिजन सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए गोलबंद हो चुके है। सरकार एवं इसके सहयोगी दलों को इसका खामियाज़ा चुनाव में भुगतना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षक एवं शिक्षक अभ्यर्थी के मान सम्मान को सामाजिक स्तर पर भी धूल-धूसरित कर रही है। आनन फानन में दो पृष्ठों का आधा-अधुरा त्रुटिपूर्ण शिक्षक नियमावली-2023 को अस्तित्व में लाकर केवल अपना राजनीतिक हित साधना चाहती है। जिसे बिहार के सभी शिक्षक एवं शिक्षक अभ्यर्थी समझ चुके है। प्रधानमंत्री बनने का दु:स्वप्न देखने वाले कथित पार्टी के तानाशाह एवं उनके सहयोगी दलों को आगामी चुनाव में बिहार के चार लाख शिक्षक एवं उनके परिजन सहित दो लाख शिक्षक अभ्यर्थी अपने परिवार सहित अपने अपने वोट के चोट द्वारा सत्ता से बेदखल कर धूल-धूसरित कर देंगे।