सीतामढ़ी की चुनावी सभा में जब भीड़ ने “जय श्रीराम” के नारे लगाए तो पल भर में माहौल बदल गया. मंच पर मौजूद तेज प्रताप यादव गुस्से में दिखे, लेकिन उनका जवाब सुनकर हर कोई चौंक गया. लालू यादव के बड़े बेटे ने न केवल नारों को सुधार दिया, बल्कि मिट्टी माथे से लगाकर यह संदेश भी दिया कि जानकी की धरती पर नारा “जय सियाराम” ही होना चाहिए.
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उन्होंने सभा के बीच में मिट्टी उठाई और उसे अपने माथे से लगाते हुए कहा – यह जो मिट्टी है, यह माँ धरती की जननी है. इस मिट्टी को कोई नेता मंच से माथे पर नहीं लगाता, लेकिन हम लगाते हैं.
इस भावनात्मक प्रदर्शन ने भीड़ को और प्रभावित किया. सीतामढ़ी को माता सीता की जन्मभूमि माना जाता है. ऐसे में ‘जय सियाराम’ का नारा बुलवाकर तेज प्रताप ने धार्मिक आस्था और स्थानीय गौरव दोनों को जोड़ने की कोशिश की.
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि तेज प्रताप का यह बयान महज नाराजगी नहीं, बल्कि एक सोचा-समझा सियासी दांव है. बिहार की राजनीति में हिंदुत्व बनाम सामाजिक न्याय की बहस अक्सर छिड़ती रही है. ऐसे में तेज प्रताप ने राम के साथ सीता का नाम जोड़कर न केवल अपनी अलग पहचान बनाई






















