अक्सर जिंदगी की परेशानियों से आजिज होकर लोग आत्महत्या (suicide) जैसा कदम उठा लेते हैं। परंतु कुछ ऐसे लोग होते हैं जो डिप्रेशन (depression) को ही अपनी ताकत बना लेते हैं। ऐसे ही एक युवा हैं महाराष्ट्र के नागपुर निवासी अतुल चौकसे। जिन्होंने डिप्रेशन के कारण अपनी पत्नी के द्वारा आत्महत्या किए जाने के बाद सदमा से उबरते हुए डिप्रेशन को अपनी ताकत बनाई और निकल पड़े मां गंगा को निर्मल और अविरल बनाने के लिए।
2720 किलोमीटर लंबी दूरी
लोगों को जागरूक करने और डिप्रेशन से लोगों को बचाने की मुहिम में नवंबर 2021 से गंगा के उदगम स्थल गंगोत्री से गंगासागर के लिए प्रारंभ हुआ पैदल जागरूकता अभियान उत्तराखंड और यूपी के गंगा किनारे के शहरों और कस्बों से होते हुए 2720 किलोमीटर लंबी दूरी तय कर भागलपुर पहुंची। जिसके बाद यात्रा की अंतिम कड़ी के लिए झारखंड के लिए प्रस्थान कर गए। इस दौरान अतुल चौकसे ने बताया कि वह अपनी पत्नी के द्वारा सुसाइड किए जाने के बाद काफी डिप्रेशन में चले गए थें। लेकिन उसके बाद उन्होंने इसे अपनी ताकत बना ली और निकल पड़े मां गंगा को निर्मल और अविरल बनाने के अभियान पर साथ ही लोगों को डिप्रेशन से बचाने की मुहिम पर।
मन विचलित हो जाता था
नागपुर निवासी युवा ने बताया कि गंगा की गंदगी को देख मन विचलित हो जाता था। लोगों को मां गंगा को अपनी मां के समान स्वच्छ और निर्मल रखने के लिए अतुल चौकसे गंगा किनारे बसे गांव और शहर के लोगों को चौपाल लगाकर लगातार जागरूक करने की भी बात कही। साथ ही विश्व का पहला डिप्रेशन अस्पताल बनाए जाने की बात भी बताई।
71 राष्ट्रीय और 35 अंतरराष्ट्रीय पदक
हम आपको बता दें कि अतुल चौकसे पेशे से कंप्यूटर शिक्षक और अंतरराष्ट्रीय अल्ट्रा मैराथन धावक हैं। जिन्होंने अब तक 71 राष्ट्रीय और 35 अंतरराष्ट्रीय पदक हासिल किया है। इन्होंने सहारा और थार रेगिस्तान को दौड़ कर पार भी किया है। अतुल चौकसे यात्रा के दौरान हाथ वाली ट्रॉली लूढकाते हुए पैदल यात्रा कर रहे हैं। जिसका वजन 180 से 190 किलो के बीच है। जिस पर सोलर पैनल, टेंट, राशन, मेडिकल का सामान, ट्रैकिंग किट, लैपटॉप, कैमरा, नदी की पानी टेस्टिंग मशीन और कीट है। अतुल चौकसे लगातार गंगा के पानी को जांच कर उसकी रिपोर्ट भी तैयार कर रहे हैं। गंगा को निर्मल और अविरल बनाने के मुहिम में लगे इस युवा को जरूरत है सरकार के द्वारा उचित तरजीह दिए जाने की।