बिहार का गोपालगंज इन दिनों खौफ और साजिशों का अड्डा बनता जा रहा है। सत्ता, सियासत और अपराध के ताने-बाने में उलझे इस शहर में बीते साल AIMIM नेता और पूर्व मुखिया अब्दुल सलाम उर्फ असलम मुखिया की हत्या के बाद अब उनके छोटे भाई अब्दुल हन्नान को भी मौत के घाट उतारने की कोशिश की गई। लेकिन किस्मत ने इस बार साथ दिया, और वे गंभीर रूप से घायल होकर अस्पताल पहुंच गए। सवाल उठता है—आखिर कौन हैं वो ताकतें जो इस परिवार को खत्म करने पर आमादा हैं?
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गवाही की सजा: खून से लिखा खामोशी का फरमान!
अब्दुल हन्नान, जिनके भाई असलम मुखिया की सरेआम गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी, इस मामले के मुख्य गवाह हैं। अदालत में सच कहने की कीमत उन्हें जान से चुकानी पड़ रही है। पहले धमकियां मिलीं, फिर दबाव डाला गया, और जब वे झुके नहीं, तो हमला कर दिया गया। यह हमला सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि न्याय और कानून पर भी था।
घटना नगर थाना क्षेत्र के तकिया गांव स्थित बायपास रोड की है, जहां अब्दुल हन्नान पर जानलेवा हमला किया गया। हमलावरों में वही चेहरे शामिल थे, जिनके नाम उनके भाई की हत्या के केस में दर्ज हैं—सद्दाम, उसके भाई और कुछ अन्य लोग। इस हमले में पीड़ित के सिर में गंभीर चोटें आईं, जिसके बाद उन्हें गोरखपुर रेफर कर दिया गया। लेकिन यह हमला सिर्फ मारपीट नहीं था, बल्कि यह एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा था—गवाह को खत्म कर दो, मामला खत्म हो जाएगा!
‘मौत का फरमान‘ जारी करने वाले कौन?
बड़ा सवाल यह है कि आखिर इस हमले के पीछे किसकी ताकत है? पीड़ित परिवार का आरोप है कि उनके भाई असलम मुखिया की हत्या करने वाले दबंग अब उनकी गवाही को रोकने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। अनस सलाम, जो अब परिवार की राजनीतिक विरासत संभाल रहे हैं, कहते हैं कि उनके पिता की हत्या 12 फरवरी 2024 को कर दी गई थी और इस केस में चौराव पंचायत के मुखिया परवेज आलम उर्फ छोटे मुखिया, लालबाबू, सद्दाम सहित कई लोगों के नाम दर्ज हैं। अब यही लोग परिवार को धमकियां देकर केस वापस लेने का दबाव बना रहे हैं।
गांव में दहशत, प्रशासन मौन!
इस हमले के बाद से गांव में भारी तनाव है। लोग डरे हुए हैं, लेकिन प्रशासन की प्रतिक्रिया धीमी और संदेहास्पद है। साइबर डीएसपी सह प्रभारी एसडीपीओ अवंतिका दिलीप कुमार ने बताया कि नगर थाना में मारपीट की घटना दर्ज हुई है और पुलिस मामले की जांच कर रही है। लेकिन सवाल यह है कि जब पीड़ित परिवार खुलेआम सुरक्षा की गुहार लगा रहा है, जब बार-बार हमले हो रहे हैं, तो पुलिस अब तक कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं कर रही? क्या यह महज एक आपसी रंजिश है, या फिर इस साजिश के पीछे कोई बड़ा राजनीतिक खेल छिपा है?