सुपौल के वीरपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने विद्या भारती द्वारा संचालित सरस्वती विद्या मंदिर के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण किया। वैदिक मंत्रोच्चारण और नारियल फोड़कर उद्घाटन किया गया। इससे पहले उन्होंने मां सरस्वती की आराधना की और विद्यालय परिसर का निरीक्षण किया। उनके आगमन को लेकर प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। यातायात और सुरक्षा प्रबंधन को लेकर विस्तृत योजना बनाई गई थी। सुपौल के कार्यक्रम में बड़ी संख्या में संघ कार्यकर्ता और नेपाल से आए सनातनी श्रद्धालु शामिल हुए।

शिक्षा के महत्व पर दिया जोर
अपने संबोधन में मोहन भागवत ने कहा कि विद्या भारती के विद्यालय केवल आजीविका के लिए शिक्षा नहीं देते, बल्कि संस्कार भी सिखाते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य सच्चे अर्थों में मनुष्य को मनुष्य बनाना है। भागवत ने राष्ट्र और विश्व कल्याण की भावना से कार्य करने की आवश्यकता बताई।
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उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और जैविक खेती पर जोर देते हुए कहा कि हमें ऐसी खेती को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहे। विद्या भारती का उद्देश्य आत्मविश्वास से भरे सुसंस्कारी बालकों का निर्माण करना है। कार्यक्रम में RSS के उत्तर पूर्व क्षेत्र के क्षेत्र कार्यवाह डॉ. मोहन सिंह, लोक शिक्षा समिति बिहार के प्रदेश मंत्री डॉ. सुबोध कुमार, विद्यालय प्रबंधकारिणी समिति के सचिव डॉ. ललन प्रसाद सिंह समेत कई प्रमुख कार्यकर्ता और हजारों नागरिक उपस्थित रहे।