राष्ट्रीय लोक मोर्चा की ओर से आगामी पांच सितंबर को पटना में संवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार महारैली आयोजित होगी. इसकी सफलता को लेकर पार्टी कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर इसका प्रचार प्रसार कर रहे हैं. साथ ही आमजनों को महारैली में भाग लेने के लिए निमंत्रण भी दे रहे हैं. इसी कड़ी में पार्टी के जिलाध्यक्ष गिरीश कुशवाहा व युवा जिला अध्यक्ष मनीष सिंह के नेतृत्व में गुरुवार को बांका विधानसभा क्षेत्र के चुटिया, अमरपुर, जमुआ, बलारपुर, देशरा, बांका बाजार समेत दर्जनों गांवों का दौरा किया. इस दौरान अधिक से अधिक संख्या में लोगों से पटना जाने की अपील की गयी. मौके पर जिलाध्यक्ष ने कहा कि संवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार आज समय की सबसे बड़ी मांग है. अगर संविधान में प्रदत्त अधिकारों की रक्षा नहीं होगी और परिसीमन की खामियों को दूर नहीं किया जायेगा, तो लोकतंत्र की जगह कमजोर होगी.
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उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि पांच सितंबर को पटना मिलर हाई स्कूल मैदान पहुंचकर महारैली को सफल बनाना सिर्फ पार्टी का नहीं बल्कि आम जनता का भी कर्तव्य है. युवा जिलाध्यक्ष ने कहा कि पार्टी का यह आंदोलन पूरी तरह जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए समर्पित है और इस रैली के माध्यम से सरकार तक एक सशक्त संदेश पहुंचेगा. रैली में बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति से यह स्पष्ट हो जायेगा की जनता अपने अधिकारों को लेकर पूरी तरह जागरूक और प्रतिबद्ध है. मौके पर पार्टी के प्रखंड अध्यक्ष विजय भारती, संजय कुमार, प्रभास मंडल सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे.
वहीँ राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने ऐलान किया है कि यह रैली संवैधानिक सुधार और संवैधानिक अधिकार के मुद्दे पर आयोजित की जा रही है। यह दिन ऐतिहासिक भी है—5 सितंबर को जहां एक ओर शिक्षक दिवस मनाया जाता है, वहीं दूसरी ओर अमर शहीद जगदेव बाबू की शहादत को भी याद किया जाता है। इसी वजह से इस तारीख को रैली करने का फैसला लिया गया।इस रैली की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। हमें पूरा विश्वास है कि अब तक मिलर हाई स्कूल मैदान में जितनी भी रैलियां हुई हैं, यह रैली उनसे कहीं बड़ी होगी। हमारा मकसद सिर्फ हंगामा खड़ा करना नहीं, बल्कि जनता के मुद्दों का समाधान निकालना है। कुशवाहा ने विपक्षी परियों के द्वारा किया गया बोर्ड अधिकार यात्रा और अभियानों पर भी निशाना साधा और कहा कि वे सिर्फ हंगामा करने में रहते हैं, लेकिन उनकी पार्टी जनता के मुद्दों का हल नहीं कर पाती है अब देखना यह होगा कि 5 सितंबर को होने वाली यह महारैली कितनी भीड़ जुटा पाती है और इसका राजनीतिक असर बिहार की सियासत पर कितना पड़ता है।






















