पश्चिम चम्पारण में आने वाली बगहा विधानसभा सीट का इतिहास काफी पुराना और दिलचस्प रहा हैं. बगहा विधानसभा क्षेत्र में पहली बार 1957 में चुनाव हुए थे, और तब से यह क्षेत्र बिहार विधानसभा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद बगहा विधानसभा सीट वाल्मीकि नगर संसदीय क्षेत्र के हिस्से में आ गया जबकि इससे पहले यह बगहा लोकसभा सीट का हिस्सा हुआ करती थी। साथ ही यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट हुआ करती थी। 2010 के बाद यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट नहीं रही और सामान्य वर्ग के कर दी गई।
राजनीतिक इतिहास
एक समय में यह सीट कांग्रेस की गढ़ मानी जाती थी। 1957 से लेकर 1985 तक इस सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी यहां से चुनाव जीतते रहे. नरसिंह भाटिया 6 बार चुनाव जीतने में कामयाब रहे।1990 से सीट का इतिहास बदला और कांग्रेस फिर से इस सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकी। 1990 में जनता दल के पूर्णमासी राम ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली और 2005 तक अलग-अलग पार्टियों के चिन्ह पर लगातार 5 बार चुनाव जीतने में कामयाब रहे। हालांकि 2010 में सामान्य वर्ग के लिए सीट खोल देने के बाद जनता दल यूनाइटेड के प्रभात रंजन सिंह ने सामान्य वर्ग से पहली जीत हासिल की। 2010 में हुए चुनावों की बात करें तो 2010 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी।
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2015 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के राघव शरण पांडे ने जीत हासिल की थी। राघव ने जनता दल यूनाइटेड के भीष्म साहनी को 8,183 मतों के अंतर से हराया था। राघव को 44.5% वोट मिले तो भीष्म साहनी को 39.6% वोट मिले। तीसरे नंबर पर बसपा था। इस सीट पर 61.8 फीसदी मतदान हुआ था. 2,753 वोट नोटा के पक्ष में गए। 2020 में हुए चुनावों पर नज़र डाले तो भाजपा राम सिंह ने यहां से जीत दर्ज की, उन्हें 90,013(49.51%) मत मिले, जबकि कांग्रेस के जयेश मंगलम सिंह दूसरे नंबर पर रहे। जयेश मंगलम को 59993 (33%) वोट मिले। इस सीट पर लगभग 46.60% वोटिंग हुई।
जातीय समीकरण
बगहा विधानसभा में विभिन्न जातियों के लोग रहते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख जातियां हैं राजपूत, ब्राह्मण, वैश्य, यादव और दलित। इस क्षेत्र में ब्राह्मण, राजपूत, यादव, महादलित व मुस्लिम मतदाता काफी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 2020 के चुनावो में पश्चिम चंपारण के किसी भी सीट से ब्राह्मण प्रत्याशी को टिकट नहीं दिए जाने से एक बड़ा वर्ग नाराज था। ब्राह्मण एनडीए का वोट बैंक माने जाते रहे हैं।
जनसंख्या: 2011 की जनगणना के अनुसार बगहा विधानसभा की जनसंख्या लगभग 3,50,000 है, जिसमें से पुरुषों की संख्या 1,80,000 और महिलाओं की संख्या 1,70,000 है. यहां अधिकांश लोग कृषि से जुड़े हुए हैं, वही उनका मुख्य पेशा हैं।
चुनावी मुद्दें: 2020 में हुए चुनावों में विकास, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं प्रमुख मुद्दे रहे। इसके अलावा बगहा को राजस्व जिले का दर्जा नहीं दिए जाने से बगहा के लोगों में निराशा थी। इस मुद्दे के साथ ही गन्ना मूल्य भुगतान में बढ़ोतरी नहीं होने से किसान नाराजगी थी जिस पर चुनावों में खूब चर्चा हुआ।






















