[Team insider] झामुमो ने भाजपा जम कर निशाना साधा और कहा कि विधानसभा अध्यक्ष पर सवाल उठाना गलत परंपरा की शुरुआत की जा रही है। साढ़े चार साल से अधिक तक तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष डॉ. दिनेश उरांव के कोर्ट में मामला चला। इसके बाद निर्णय आया हमलोग भी जल्दी निर्णय लेने का आग्रह करते रहते थे। मगर कभी भी विधानसभा अध्यक्ष पर उंगली नहीं उठायी। क्योंकि हमें उनकी निष्पक्षता पर कोई संदेह नहीं थी। यही बाबूलाल मरांडी उस समय भी हाइकोर्ट गये थे। इसलिए बाबूलाल को धैर्य रखना चाहिए। मेरिट के आधार पर निर्णय होगा। भट्टाचार्य सोमवार को पत्रकारों से बात कर रहे थे।
बाबूलाल का और उनके टीम मेंबर का मोबाइल बंद
भट्टाचार्य ने कहा कि स्पीकर पर उंगली उठा कर आखिरकार बाबूलाल और उनकी टीम कहां है? जानकारी मिल रही है कि उनका और उनके टीम मेंबर का मोबाइल बंद है। राज्य के प्रथम मुख्मयंत्री का लोकेशन ट्रेस नहीं हो रहा है। यह बहुत गंभीर मामला है। उनको बताना चाहिए कि आज कल कहां हैं, जबकि हर जगह डिजिटल मीडिया उपलब्ध है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म उपलब्ध है। कहीं से भी मैसेज किया जा सकता है। ईडी प्रकरण के बाद बाबूलाल और रघुवर दास कहीं गुम हो गये हैं।
संवैधानिक रूप से यह गलत परंपरा
श्री भट्टाचार्य ने कहा कि बाबूलाल मरांडी के पांच विधायकों को भाजपा ने शामिल कराया था। तब से वे दसवीं अनुसूची की बातें करते रहते थे। लेकिन आज वे फिर उसी पार्टी में गये हैं। 11 विधायकों को 2009 में तत्कालीन स्पीकर आलमगीर आलम ने दल-बदल में उनकी सदस्यता खारिज की थी। आज वही नियम जब विधानसभा न्यायीकरण में है। इसके बाद भी वर्तमान स्पीकर पर तब से ही उनका आक्रमण हो रहा है। संवैधानिक रूप से यह गलत परंपरा है।
अचानक बाबूलाल भाजपा के हो गये
बाबूलाल मरांडी जिस झाविमो से चुन कर आये थे, उस दल के तीन सदस्यों के विधायक मंडल ने बिना शर्त वर्तमान सरकार को समर्थन दिया था, विधायक दल के नेता प्रदीप यादव के हस्ताक्षर से समर्थन पत्र सौंपा गया था। स्पीकर को भी लिख कर दिया गया। इसके आधार पर स्पीकर ने सदन में इन्हें बैठने की व्यवस्था बनायी। फिर अचानक बाबूलाल मरांडी भाजपा में चले गये।