पथ निर्माण विभाग की जिम्मेदारी वाले 250 मीटर या इससे लंबे पुलों के थर्ड पार्टी ब्रिज सेफ्टी ऑडिट की जिम्मेदारी आइआइटी दिल्ली और आइआइटी पटना को दी गयी है। इसका परामर्शी शुल्क 16.61 करोड़ रुपये है। आइआइटी दिल्ली को उत्तर बिहार की 40 पुलों और आइआइटी पटना को दक्षिण बिहार की 45 पुलों के सेफ्टी ऑडिट के लिए बिहार राज्य पुल निर्माण निगम ने लेटर ऑफ एक्सेप्टेंस निर्गत कर दिया है। पुलों की मरम्मत के लिए दोनों आइआइटी एस्टीमेट बनायेंगे, जिसके आधार पर पुलों को बेहतर करने का काम पुल निर्माण अन्य संवेदक के माध्यम से करवायेगा।
इसके सहित बिहार राज्य पुल प्रबंधन एवं संधारण नीति-2025 की जानकारी पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने शनिवार को विभागीय सभाकक्ष में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दी। नितिन नवीन ने बताया कि 250 मीटर तक के पुलों व पुलियों का फिजिकल कंडीशन सर्वे अलग-अलग स्तर के विभागीय अभियंता कर रहे हैं। छह मीटर तक की पुलियों का कार्यपालक अभियंता, छह से 60 मीटर तक अधीक्षण अभियंता और 60 से 250 मीटर तक मुख्य अभियंता सर्वे कर रहे हैं। इस संबंध में विभाग के विभिन्न स्तर के करीब छह सौ अभियंताओं को प्रशिक्षण दिया गया है।
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आइआइटी दिल्ली से दो मेगा पुलों आरा-छपरा और अरवल-सहार पुल के लिए सेंसर टेक्नॉलोजी का उपयोग करते हुए रियल टाइम स्ट्रक्चरल हेल्थ मॉनीटरिंग करने के लिए प्रस्ताव देने के लिए अनुरोध किया गया है। मेसर्स विटाल एनवायरामेंट इंडिया प्रालि, गुड़गांव के द्वारा समस्तीपुर जिला में बैरीयाही घाट पुल का डिजिटल ब्रिज सेफ्टी ऑडिट किया गया है। ब्रिज मेंटेनेंस पॉलिसी बनाने वाला पहला राज्य बिहार है।
बिहार के छोटे से लेकर बड़े वैसे पुल जिनका निर्माण पथ निर्माण विभाग की देखरेख में कराया गया है, उनका पूरा ब्योरा अब लोगों के बीच उपलब्ध रहेगा। पुल का आखिरी बार निरीक्षण कब हुआ इसकी जानकारी भी लोगों के लिए पुल के समीप ही उपलब्ध रहेगी। इसके लिए सभी पुलों पर पुल का ब्योरा और क्यूआर कोड लगाए जा रहे हैं। क्यूआर काेड काे स्कैन करने पर पूरी जानकारी मिल जाएगी।
पुलों को बनाया जायेगा बेहतर
विभाग के अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा कि बिहार राज्य पुल प्रबंधन एवं संधारण नीति-2025 के तहत पथ निर्माण विभाग के पुलों को बेहतर बनाया जायेगा। एनएचएआइ या केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय सहित अन्य विभागों के पुलों को बेहतर करने की जिम्मेदारी मिलने पर उनको भी बेहतर किया जायेगा। 60 मीटर से अधिक लंबाई वाले पुलों का मेंटेनेंस बिहार राज्य पुल निर्माण निगम और 60 मीटर या इससे कम लंबाई वाले पुलों का मेंटेनेंस पथ प्रमंडलों द्वारा किया जायेगा।
इस दौरान बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के चेयरमैन शीर्षत कपिल अशोक ने बताया कि इस नीति में विजुअल इंसपेक्शन, नॉन डिस्ट्रक्टिव टेस्ट, सेंसर और ड्रोन कैमरा से पुलों का डाटा संग्रह होगा। प्रत्येक पुल की रेटिंग और स्थिति का आकलन कर ब्रिज हेल्थ इंडेक्स और मेंटेनेंस प्रायोरिटी इंडेक्स का मूल्यांकन किया जाएगा। पुलों का हेल्थ कार्ड तैयार किया जायेगा।