Bihar Railway Over Bridge: बिहार की सड़कों पर रोज़मर्रा का सबसे बड़ा सिरदर्द माने जाने वाले रेलवे फाटक अब विकास की रफ्तार में बाधा नहीं बनेंगे। राज्य के शहरी और ग्रामीण इलाकों में ट्रैफिक जाम, एंबुलेंस की देरी और कामकाजी लोगों के समय की बर्बादी का कारण रहे रेलवे फाटकों से निजात दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने दीर्घकालिक और व्यापक योजना पर काम तेज कर दिया है। आने वाले वर्षों में बिहार की मुख्य सड़कों को रेलवे ट्रैक से मुक्त बनाने के लिए करीब 217 रेलवे ओवर ब्रिज और रेलवे अंडर ब्रिज के निर्माण की तैयारी है, जिससे आवागमन का चेहरा पूरी तरह बदल सकता है।
इस पहल की जड़ें वर्ष 2019 में हुए उस समझौते से जुड़ी हैं, जब राज्य सरकार और रेल मंत्रालय के बीच रेलवे ओवर ब्रिज निर्माण को लेकर एमओयू साइन हुआ था। उस समय 44 आरओबी बनाने का निर्णय लिया गया था और लागत में राज्य सरकार की हिस्सेदारी भी तय थी। योजना के तहत 35 आरओबी का निर्माण बिहार राज्य पुल निर्माण निगम और 9 आरओबी का जिम्मा बिहार राज्य पथ निगम को सौंपा गया। इन 44 में से 41 परियोजनाओं के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जबकि शेष तीन पर औपचारिकताएं अंतिम चरण में हैं।
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अब इस प्रारंभिक योजना को कहीं अधिक व्यापक रूप देते हुए केंद्र सरकार ने 217 नए ओवरब्रिज और अंडरब्रिज बनाने का मन बनाया है। इस फैसले की सबसे अहम बात यह है कि इन सभी परियोजनाओं का पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी। इससे राज्य के खजाने पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा और काम की रफ्तार भी तेज होने की उम्मीद है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह फैसला केवल ट्रैफिक सुविधा तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे आर्थिक गतिविधियों, औद्योगिक आपूर्ति और आपातकालीन सेवाओं को भी बड़ा सहारा मिलेगा।
रेलवे फाटकों पर रुकने की मजबूरी खत्म होने से शहरों में जाम की समस्या काफी हद तक कम होगी और गांवों से कस्बों तक निर्बाध संपर्क संभव हो सकेगा। रेल मंत्रालय पहले से ही बिहार में रेलवे कनेक्टिविटी मजबूत करने के लिए नई लाइनें बिछाने और मौजूदा नेटवर्क के विस्तार पर काम कर रहा है। ऐसे में ओवरब्रिज और अंडरब्रिज की यह श्रृंखला सड़क और रेल के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करेगी।






















