उत्तर प्रदेश के किसान आज नोएडा से दिल्ली में संसद परिसर तक विरोध मार्च निकालने जा रहे हैं। किसानों के दिल्ली कूच का असर दिखने भी लगा है। कालिंदी कुंज बॉर्डर पर भीषण जाम लग गया है। नए कृषि कानूनों के तहत मुआवजे और लाभ की अपनी पांच प्रमुख मांगों को लेकर किसान संगठन विरोध मार्च निकाल रहे हैं। विरोध मार्च ऐसे वक्त पर निकाला जा रहा है, जब संसद में इन दिनों शीतकालीन सत्र चल रहा है।

किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च पर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि सरकार किसानों की बात सुनने के लिए और उनसे बात करने के लिए तैयार है। पिछली बार भी जिन कानूनों पर उनको एतराज था सरकार ने बिना किसी शर्त के उसे वापस लेने का काम किया। ये सरकार की नीयत को दर्शाता है कि पूरी तरीके से किसानों की भावना के साथ हमारी केंद्र की NDA सरकार काम करने का प्रयास कर रही है।
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चिराग पासवान ने कहा कि जब सरकार ने बातचीत का रास्ता खोल रखा है। तो आन्दोलन या मार्च करने से पहले मुझे लगता है बातचीत होनी चाहिए। मैं अभी भी आग्रह करूंगा कि किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना न घटे। आप आइये, अपना प्रतिनिधि मंडल भेजिए, जो भी मांग है वो सरकार के सामने रखिये, बातचीत करिए।
बता दें कि किसान यमुना प्राधिकरण को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। दिल्ली कूच किसानों के आंदोलन का तीसरा और आखिरी चरण है। इससे पहले ग्रेटर नोएडा में यमुना प्राधिकरण पर आंदोलन किया गया था। किसान पुराने भूमि अधिग्रहण कानून के तहत प्लॉट और बढ़े हुए मुआवजे की मांग कर रहे हैं। भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्वास की मांग। आबादी क्षेत्र का उचित निस्तारण किए जाने की मांग। यमुना एक्सप्रेसवे के लिए जमीन अधिग्रहण से करीब 30 हजार किसान प्रभावित हुए हैं। किसानों को 10 साल से मुआवजे का इंतजार है।