रांचीः मौनसून ने झारखंड मे दस्तक तो दे दी परंतु दस्तक देकर मौन हो गया, जी हाँ पिछले तीन सालो कि तरह इस बार भी मानसून अनुमान से काफी कम बरसा जिस कर्ण राज्य के किसानो मे निराशा व्याप्त है। बता दें लगभग 86 प्रतिशत धान की खेती वाले खेत कम बारिश के कारण अभी भी बंजर पड़े हैं। अधिकारियों ने जानकारी दी कि इस बार मानसून के ढीले पड़ने से राज्य में सुखाड़ की आशंका है। वहीं कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि 24 में से चार जिलों में अभी तक धान की बुआई शुरू नहीं हुई है, जबकि बुआई का प्रमुख समय अगले सप्ताह समाप्त हो रहा है। इसके अलावा अधिकारियों ने बताया कि 26 जुलाई तक झारखंड में 47 प्रतिशत बारिश कम हुई है। सुखाड़ कि इस स्थिति को लेकर किसान चिंतित हैं और उनका अनुमान है कि राज्य में लगातार तीसरी बार सूखे जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
पिछले वर्ष भी राज्य के 158 प्रखंडों को किया गया था सूखाग्रस्त घोषित
बता दें कि साल 2023 में भी राज्य सरकार ने 17 जिलों के 158 ब्लॉकों को सूखाग्रस्त घोषित किया था वहीं साल 2022 में 226 ब्लॉक सूखाग्रस्त घोषित हुए थे। बात करें राज्य कृषि विभाग की बुवाई रिपोर्ट कि तो उसके अनुसार 26 जुलाई तक 18 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 2.43 लाख हेक्टेयर में ही धान की फसल बोई गई थी। इसका सीधा मतलब है कि राज्य मे कृषि योग्य भूमि का सिर्फ 13.53 फीसदी हिस्सा ही बोया गया है। मलूँ हो कि मानसून के खाली जाने के कारण पलामू, लातेहार, चतरा और देवघर जिलों में अबतक धान की बुवाई शुरू नहीं हो सकी है। धान के अलावा मक्का, दलहन, तिलहन और मोटे अनाज सहित अन्य खरीफ फसलों की भी बुआई मे कमी आई है। रिपोर्ट के मुताबिक 26 जुलाई तक खरीफ फसलों की बुवाई 28.27 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 5.59 लाख हेक्टेयर में हुई है। अर्थात कृषि योग्य भूमि का सिर्फ 19.77 फीसदी हिस्सा ही बोया गया है। बताते चलें कि झारखंड में बारिश की कमी से चिंतित मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 19 जुलाई को अधिकारियों को कृषि पर इसके प्रभाव पर एक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया, जिसके बाद सहायता के लिए इसे केंद्र के समक्ष रखा जा सके।
वैज्ञानिकों ने कहा दस दिन करें इंतजार
वहीं इस मुद्दे पर कृषि वैज्ञानिकों ने 10 दिनों के इंतजार का दिया निर्देश दिया है। बताते चले कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), रांची के अनुसंधान निदेशक पी के सिंह ने कहा कि राज्य मे अब बारिश के रुझान बदल रहे हैं और साथ ही बुवाई का पैटर्न भी बदल रहा है। उन्होने आगे कहा कि अगर हम पिछले पांच वर्षों के बारिश के रुझानों का अध्ययन करें, तो हम कह सकते हैं कि स्थिति अभी भी बहुत चिंताजनक नहीं है। उन्होने आगे कहा कि हमें आठ से दस दिन और इंतजार करना चाहिए। इधर हाल के डीनो मे हुई बारिश ने किसानों को काफी राहत दी है। उन्होने किसानों को मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए चावल की सीधी बुवाई करने का सुझाव दिया है। वही कृषि विभाग के उप निदेशक मुकेश सिन्हा ने कहा कि हमें धान कि बुआई को लेकर किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए 15 अगस्त तक इंतजार करना चाहिय। राज्य के किसान अगस्त के मध्य तक धान की बुवाई करते हैं। इधर रांची मौसम विज्ञान केंद्र के प्रभारी अभिषेक आनंद ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से राज्य में अच्छी बारिश हो रही है और उम्मीद जताया है कि यह अगले सप्ताह भी बारिश का ये दौर जारी रहेगा। झारखंड में अगस्त और सितंबर में भी अच्छी बारिश होने की संभावना है। आगे उन्होने बताया कि झारखंड में मानसून 30 जुलाई से फिर से सक्रिय होगा। इस दौरान पूरे राज्य में अच्छी बारिश होने की उम्मीद है। मौसम विभाग के अनुसार झारखंड में अभी तक मानसून कमजोर था, लेकिन संभावना है कि 30 जुलाई से एक अगस्त तक अच्छी बारिश होगी।