- केंद्र सरकार ने किसानों की तीन मांगें मानने को सहमति जताई: लखीमपुर खेड़ी हिंसा पीडि़तों को मुआवजा, किसानों की कर्ज माफी की मांग पर अभी सहमति नहीं बनी है, 13 फरवरी को दिल्ली कूच को देखते हुए राजधानी में धारा 144 लागू
- दिल्ली के सभी बॉर्डर सील
- किसानों पर दर्ज मामले वापस लेना
- बिजली अधिनियम 2020 को रद्द करना
केंद्र सरकार के फसलों के एमएसपी पर सहमत न होने के कारण किसान नेताओं ने सरकार को मंगलवार सुबह दस बजे तक का वक्त दिया था, और मामला न सुलझने पर दिल्ली की ओर कूच करने का ऐलान कर दिया था।
मीडिया से बात करते हुए किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के मन में खोट है और वह उनकी मांगों के प्रति गंभीर नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक आंदोलन के दौरान किसानों और युवाओं पर दर्ज केसों को वापस लेने, लखीमपुर खीरी घटना के मृत किसानों के परिवारों को मुआवजे पर सहमति बन गई थी, जबकि बिजली एक्ट 2020 को रद्द करने पर भी सहमति के आसार बन रहे थे।
हालांकि किसानों की कर्ज माफी की मांग पर केंद्रीय मंत्री चुप्पी साधे रहे।
मीटिंग में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और अर्जुन मुंडा मौजूद थे, जबकि किसानों की तरफ से जगजीत सिंह डल्लेवाल, सरवण सिंह पंधेर, अभिमन्यु कोहाड़, इंद्रजीत कोटनबुधा, बलदेव सिंह सिरसा, जरनैल सिंह और शिव कुमार कक्का मीटिंग में शामिल रहे। पंजाब सरकार की तरफ से मंत्री कुलदीप धालीवाल मौजूद थे।
वहीं, किसानों के मार्च को देखते हुए दिल्ली में एक महीने के लिए धारा 144 लगा दी गई है।
आगे क्या?
यह देखना बाकी है कि क्या केंद्र सरकार किसानों की कर्ज माफी की मांग पर भी सहमति जताती है या नहीं। यदि नहीं, तो किसान दिल्ली कूच का अपना प्लान आगे बढ़ा सकते हैं।