आज से चैत्र नवराज की शुरुआत हो गई है। शहर के शक्ति स्थल मंगला गौरी मंदिर में श्रद्धालुओं ने मां की पूजा-अर्चना की। बता दें देश भर के 52 शक्तिपीठों में एक प्रमुख शक्तिपीठ गया का मंगला गौरी मंदिर है। मान्यता है कि जिसकी शादी किसी भी कारणवश नहीं हो पा रही है, अगर वह सच्चे मन से इस मंदिर में मां के समक्ष अर्जी लगा दे तो बहुत कम समय में शादी हो जाती है।
माता सती का वक्ष गिरा था यहां
दरअसल, यह मंदिर अति प्राचीन है। मान्यता है कि जब माता सती अपने पति शिव के साथ मायके गई थीं तो शिव की ससुराल में उनके वेश-भूषा की वजह से उपहास हुआ था। ऐसे में अपने पति का अनादर देख माता सती हवन की अग्नि कुंड में कूदकर अपने प्राण त्याग दी थी। इसके बाद क्रोधित शिव ने हवन कुंड में अधजले अपने पत्नी सती के शरीर को अपने कंधों पर लेकर तांडव किया था, जिससे पूरा ब्रह्मांड थर्रा गया था। मान्यता है कि गया के कोलाहल पर्वत पर माता सती का वक्ष गिरा था। इस मंदिर को इस वजह से पालन पीठ भी कहा जाता है।