नीतीश कुमार के कार्यकाल में महिला वोटर एक नई और निर्णायक शक्ति बनकर उभरी हैं. बिहार की राजनीति में महिला एक जाति के रूप में देखी जाने लगी है. सभी राजनीतिक दल इन्हें साधने में जुटे हैं. पिछले कुछ चुनावों के आंकड़ों को अगर देखा जाये तो पुरुषों से अधिक महिलाओं ने मतदान किया है, जिससे यह एक महत्वपूर्ण वोट बैंक बन गया है. 2015 से लेकर 2024 तक हर चुनाव में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से ज्यादा रही. पिछले एक दशक से बिहार में सत्ता की दिशा तय करनेवाला यह वोट बैंक क्या SIR से कमजोर होगा. इस बात को लेकर राजनीतिक गलियारे में विर्मश जारी है.
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बिहार में 2.99% कुर्मी महिला मतदाता हैं, जबकि 14.46 प्रतिशत यादव, 0.6% कायस्थ, 19.6 प्रतिशत शेड्यूल कास्ट, 17.8 प्रतिशत मुस्लिम, 3.7% ब्राह्मण, 3.4% राजपूत, 2.9% भूमिहार महिला मतदाता हैं. इस वोटबैंक पर नीतीश कुमार का कब्जा है. यह वोट बैंक बिहार में सबसे मजबूत है. अब तक इस वोट बैंक में सेंध लगाने में कोई दल या नेता सफल नहीं हो पाये हैं. इस चुनाव में भी नीतीश कुमार की प्राथमिकता महिला वोटर ही रही है.
आंकड़े बताते हैं कि बिहार में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं के नाम सूची से बाहर किये गये हैं. महिला वोट नीतीश कुमार का माना जाता है. इसको लेकर जदयू के अंदर भी चिंता दिखाई दे रही है.






















