प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार शाम चीन के तियानजिन पहुंचे। यह उनकी चीन की सात साल बाद पहली यात्रा है। वह ऐसे समय में चीन पहुंचे हैं जब दुनिया व्यापारिक अस्थिरताओं और नए वैश्विक गठबंधनों के दौर से गुजर रही है। डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीतियों के कारण अमेरिका से भारत का मनमुटाव हो चुका है। यही कारण है कि पीएम मोदी और शी जिनपिंग की इस बहुप्रतिक्षित बैठक पर ट्रंप और अमेरिका की भी नजर होगी, जो क्वाड के सहारे चीन को घेरने की कोशिश में लगा था।
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भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद और तनाव को कम करने के लिए पिछले एक साल से बातचीत जारी है। दोनों देशों ने इस दिशा में कुछ अहम कदम भी उठाए हैं। जैसे कि भारतीय श्रद्धालुओं के लिए कैलाश मानसरोवर यात्रा का पुनः आरंभ हुआ है। वहीं, चीनी नागरिकों के लिए टूरिस्ट वीजा की बहाली की गई है। पीएम मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “चीन के तियानजिन शहर पहुंच चुका हूं। SCO सम्मेलन में विमर्श और विभिन्न वैश्विक नेताओं से मुलाकात के लिए उत्सुक हूं।
रविवार को उनकी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता होगी, जो इस दौरे का सबसे अहम पड़ाव माना जा रहा है। इसके अलावा, पहले दिन ही उनकी म्यांमार के कार्यवाहक राष्ट्रपति और सेना प्रमुख मिन आंग हलाइंग से भी मुलाकात की संभावना है। भारत का म्यांमार से उच्च-स्तरीय संवाद 2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद कम हुआ है। हालांकि, यह इस साल मोदी की मिन आंग हलाइंग से दूसरी मुलाकात होगी। माना जा रहा है कि पीएम लोकतंत्र की बहाली और समावेशी व विश्वसनीय चुनाव की आवश्यकता पर जोर देंगे। मोदी-शी मुलाकात को दोनों देशों के रिश्तों में पांच साल पुराने सैन्य गतिरोध के बाद प्रगति को मजबूत करने का अवसर माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी इस बैठक को लंबी अवधि और रणनीतिक दृष्टिकोण से आगे बढ़ाना चाहेंगे। यह वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब भारत-अमेरिका संबंध दशकों में सबसे निचले स्तर पर बताए जा रहे हैं।





















