बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक तैयारियां जोर शोर से चल रही है।सभी प्रमुख राजनीतिक दल मतदाताओं एक-दूसरे पर निशाना साधने में लगे हुए हैं। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बिहार में एनडीए की सरकार बनाने के लिए ज़ोरशोर से प्रयास कर रहे हैं। राज्य के विकास को लेकर लगातार बड़ी घोषणाएं और परियोजनाओं का शिलान्यास व उद्घाटन किया जा रहा है।
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मोदी ने पूर्णिया में आयोजित एक कार्यक्रम में बिहार के लिए मखाना विकास बोर्ड (Makhana Development Board) की अधिसूचना जारी किए जाने की घोषणा की। इस पहल को बिहार के मखाना किसानों और उद्यमियों के लिए एक बड़ी सौगात माना जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि “बिहारी सुपरफूड मखाना” अब देश ही नहीं, विदेशों में भी अपनी पहचान बना चुका है, और इसका श्रेय बिहार के मेहनती किसानों को भी जाता है।देश में मखाना उत्पादन का 85 प्रतिशत हिस्सा बिहार से आता है। राज्य के 16 ज़िलों मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, खगड़िया, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, चंपारण आदि में मखाना की खेती होती है। करीब 50-60 हजार किसान और मजदूर मखाना उत्पादन से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं, जिनमें से अकेले मधुबनी जिले में ही 10 हजार से अधिक किसान इस कार्य से जुड़े हैं।
इस समय बिहार से सबसे अधिक मखाना अमेरिका को निर्यात किया जाता है, जहां इसकी कीमत 10,000 से 15,000 प्रति किलो तक है। इसके अलावा नेपाल, कनाडा, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और खाड़ी देशों में भी मखाना की भारी मांग है। फिलहाल मखाना का निर्यात 45 देशों में हो रहा है और यह संख्या जल्द 100 देशों तक पहुंचने की संभावना है।राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार के अनुसार, मखाना उद्योग से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से करीब ढाई लाख लोग जुड़े हैं। मखाना को 2022 में ‘मिथिला मखाना’ नाम से जीआई टैग भी मिल चुका है, जो इसके अंतरराष्ट्रीय मान्यता की दिशा में एक बड़ा कदम है।






















