नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी में सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर चल रही आंतरिक खींचतान एक बार फिर सुर्खियों में है। पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर द्वारा हाल ही में दिए गए एक बयान पर विवाद खड़ा हो गया है, जिसके बाद कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने गुरुवार को उनकी बात को “तथ्यात्मक रूप से गलत” करार दिया।
सुरजेवाला ने कहा, “शशि थरूर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और हमारे परिवार का हिस्सा हैं। हालांकि, सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर उनकी बात तथ्यों पर आधारित नहीं थी। कांग्रेस पार्टी ने केवल यह स्पष्ट किया है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान भी आतंकवादियों के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक नियमित रूप से की जाती थीं। हमारी सेना ने तब भी आतंकवादियों को करारा जवाब दिया था।”
सुरजेवाला ने आगे कहा कि इन सर्जिकल स्ट्राइकों का जिक्र पहले भी AICC संचार विभाग द्वारा विस्तार से किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि शशि थरूर ने अपनी किताब में भी कांग्रेस सरकार के दौरान हुई सर्जिकल स्ट्राइकों का उल्लेख किया था। इसके अलावा, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भी अतीत में इन सर्जिकल स्ट्राइकों के बारे में बात की थी। सुरजेवाला ने कहा कि जयराम रमेश और पवन खेड़ा ने इस मामले में रिकॉर्ड को सही किया है और इसे किसी विवाद या संदेह का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए।
दरअसल, शशि थरूर ने हाल ही में पनामा में एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि 2016 से पहले भारत ने कभी भी LoC पार करके सर्जिकल स्ट्राइक नहीं की थी। इस बयान पर कांग्रेस के ही कुछ नेताओं ने आपत्ति जताई। पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत और पवन खेड़ा ने थरूर की बात को गलत बताते हुए कहा कि यूपीए सरकार के दौरान भी कई सर्जिकल स्ट्राइक की गई थीं। खेड़ा ने अपनी बात को साबित करने के लिए थरूर की किताब ‘द पैराडॉक्सिकल प्राइम मिनिस्टर’ के एक पेज की तस्वीर भी साझा की, जिसमें सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र था।
कांग्रेस ने पहले भी दावा किया है कि यूपीए सरकार (2004-2014) के दौरान 6 सर्जिकल स्ट्राइक की गई थीं। इनमें भट्टल सेक्टर (19 जून 2008), शारदा सेक्टर (30 अगस्त-1 सितंबर 2011), सावन पात्रा चेकपोस्ट (6 जनवरी 2013), नाजापीर सेक्टर (27-28 जुलाई 2013), नीलम घाटी (6 अगस्त 2013) और 23 दिसंबर 2013 को हुई सर्जिकल स्ट्राइक शामिल हैं। कांग्रेस का कहना है कि उसने कभी भी सैन्य कार्रवाइयों का राजनीतिक फायदा नहीं उठाया, जबकि बीजेपी ने 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक को खूब प्रचारित किया।
बीजेपी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरते हुए कहा था कि यूपीए सरकार ने 26/11 मुंबई हमले के बाद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की थी। 2019 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आरोप लगाया था कि मनमोहन सिंह सरकार ने मुंबई हमले के बाद आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने से इनकार कर दिया था, जबकि सेना तैयार थी। बीजेपी ने कांग्रेस के सर्जिकल स्ट्राइक के दावों को “फर्जी” करार दिया था।
यह विवाद एक बार फिर सर्जिकल स्ट्राइक जैसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीतिक दलों के बीच चल रहे तनाव को दर्शाता है। जहां कांग्रेस अपनी सरकार के दौरान हुई कार्रवाइयों का श्रेय लेना चाहती है, वहीं बीजेपी इसे प्रचार का मुद्दा बनाकर कांग्रेस पर हमला बोल रही है।