इतिहास फिर करवट लेने वाला है और इस बार पटना की धरती गवाह बनेगी उस गौरवशाली परंपरा की, जिसने 1857 की आजादी की पहली लड़ाई में अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी थी। जी हां, बात हो रही है बिहार के महान सपूत, अमर क्रांतिकारी बाबू वीर कुंवर सिंह की, जिनकी 167वीं विजयोत्सव वर्षगांठ अब सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि समाजिक चेतना की लहर बनने जा रही है।
सारण विकास मंच द्वारा आगामी 23 अप्रैल को पटना के विद्यापति भवन में आयोजित होने जा रहे इस ऐतिहासिक समारोह की तैयारी पूरी हो चुकी है। इस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, जो मुख्य अतिथि के रूप में मंच साझा करेंगे।
कार्यक्रम की घोषणा करते हुए विजयोत्सव आयोजन समिति के अध्यक्ष व वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील कुमार सिंह और सारण विकास मंच के संयोजक श्री शैलेंद्र प्रताप सिंह ने शुक्रवार को मीडिया के सामने साफ शब्दों में कहा कि “बाबू वीर कुंवर सिंह सबके हैं, उनका विजयोत्सव किसी एक का नहीं, पूरे समाज का उत्सव है।”
डॉ. सिंह ने अपनी बात को और धार देते हुए वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों पर तीखा प्रहार किया कि “जब लालू जी मुख्यमंत्री थे, तब कैबिनेट में 9 क्षत्रिय मंत्री थे। अब स्थिति बदली है, समाज को हाशिए पर रखा जा रहा है। यह स्वीकार्य नहीं।” उनकी यह टिप्पणी सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि उन असंतोषों का संकेत है, जो समाज के भीतर मौन रूप से पल रहे हैं।
चेतना का उद्घोष, सम्मान का उत्सव
सारण विकास मंच के संयोजक शैलेंद्र प्रताप सिंह ने इस आयोजन को एक “आई-ओपनर” की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि “यह सिर्फ कार्यक्रम नहीं, समाज को जगाने की कोशिश है।” उनके मुताबिक, यह आयोजन समाज के उन व्यक्तियों को सम्मानित करेगा, जिन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान दिया है — शिक्षा, संस्कृति, सेवा, और नेतृत्व के क्षेत्र में। इस आयोजन के जरिए “समरसता और एकता” का एक ऐसा पुल बनाया जाएगा, जिससे समाज न केवल जागरूक होगा, बल्कि अपनी भूमिका को नए नजरिए से देखेगा।
नृत्य, संगीत और वीरता की गूंज
कार्यक्रम की सांस्कृतिक झलकियों में भी बिहार की मिट्टी की महक होगी। सृष्टि शांडिल्य की लोकनृत्य प्रस्तुति और उदय नारायण सिंह की गायन प्रस्तुति दर्शकों को वीरता और संस्कृति के रंग में डुबोएगी। हर प्रस्तुति बाबू वीर कुंवर सिंह की जीवन यात्रा को जीवंत करने का प्रयास होगी।
शैलेंद्र प्रताप सिंह ने इस आयोजन को लेकर एक भावनात्मक और ऐतिहासिक बयान देते हुए कहा कि “23 अप्रैल को विद्यापति भवन सिर्फ एक हॉल नहीं रहेगा, वह दिन इतिहास, वीरता और सांस्कृतिक चेतना के पुनर्जागरण का साक्षी बनेगा।”
उनके साथ प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद रहे राघोपुर के समाजसेवी संजय कुमार सिंह और पश्चिम चंपारण के युवा उद्यमी राकेश राव, जिन्होंने इस पहल को समाज के लिए एक क्रांतिकारी शुरुआत बताया।