नई दिल्ली : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति पर गंभीर सवाल उठाए हैं, खासकर हालिया विदेशी दौरों और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भेजे गए प्रतिनिधिमंडलों की प्रभावशीलता पर। पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया है कि इन प्रतिनिधिमंडलों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई सार्थक उपलब्धि हासिल नहीं की और पाकिस्तान के खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटाने में विफल रहे।
श्रीनेत ने विशेष रूप से कुबवेत द्वारा पाकिस्तानी नागरिकों पर 19 वर्षों के वीज़ा प्रतिबंध हटाने का उदाहरण दिया, जिसे उन्होंने मोदी सरकार के लिए एक कूटनीतिक हार बताया। उन्होंने कहा, “ये प्रतिनिधिमंडल ऐसे लोगों से नहीं मिल सके, जिनका प्रभाव हो। नतीजा यह हुआ कि इन दौरों के बाद कितने देशों ने हमारे पक्ष में बात की? कितने देशों ने पाकिस्तान की निंदा की? कुबवेत का यह कदम कैसे स्वीकार्य है?”
कांग्रेस नेता ने यह भी आरोप लगाया कि इन प्रतिनिधिमंडलों को मुख्य रूप से भारतीय मूल के लोगों, भारतीय दूतावासों और उच्चायोगों से ही मुलाकात कराई गई, जबकि सरकार अपने ही संसद में इन मुद्दों पर चर्चा से बच रही है। उन्होंने सवाल किया, “वे विशेष सत्र बुलाने से कतराते हैं, लेकिन विदेश में भारतीयों को संबोधित करना चाहते हैं। यह कैसा दोहरा रवैया है?”
उन्होंने यह भी कहा कि इन दौरों से भारत की विदेश नीति में पूरी तरह से विफलता का पता चलता है, जिसकी कीमत देश को भारी पड़ रही है। उन्होंने दावा किया कि सरकार की इस नीति के कारण भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर साख खोनी पड़ी है।
कांग्रेस के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है, और विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार की विदेश नीति पर और अधिक सवाल उठा सकती हैं। वहीं, भाजपा की ओर से अभी तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।