रूस-यूक्रेन संघर्ष (Russia-Ukraine conflict) ने भारत में मेडिकल में प्रवेश की स्थिति को उजागर कर दिया है। विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या चीन के ठीक बाद यूक्रेन में दूसरे स्थान पर है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, संकटग्रस्त देश यूक्रेन में लगभग 18,000 छात्र मेडिकल क्षेत्र में नामांकित हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी आश्चर्य होकर कहा है कि अब हमें जानकारी हो रही है कि यूक्रेन में बिहार के कितने छात्र है जो कि मेडिकल की पढ़ाई करने वहां जाते हैं। इस मामले को राष्ट्रीय लेवल पर सोचने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने बताया कि हमलोगों को पहली बार इस बात का पता चला है।
ध्यानाकर्षण सूचना
बिहार में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों को प्राइवेट कॉलेजों में पढ़ाई करने के लिए मोटी रकम अदा करनी पड़ती है। इस मामले को लेकर आज बिहार विधानसभा में खूब बहस हुई। दरअसल जेडीयू विधायक डॉ संजीव कुमार समेत अन्य सदस्यों की तरफ से सदन में ध्यानाकर्षण सूचना लाई गई थी। इस मुद्दे को लेकर बिहार के श्रम संसाधन मंत्री जीवेश मिश्रा ने कहा कि पिछली सरकार की तुलना में केंद्र सरकार काफी संख्या में मेडिकल कॉलेज खोलने का काम किया है।
प्राईवेट कॉलेज खोलने को प्रोत्साहित
सरकार सरकारी कॉलेज में फीस कम करने पर भी विचार कर रही है। जीवेश मिश्रा ने कहा कि सात वर्षों में मेडिकल में पढ़ने का सीट बढ़ाया गया है। नए-नए मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं। प्राईवेट कॉलेज खुले इसके लिए भी उत्साहित किया गया। बिहार में भी कई मेडिकल कॉलेज खुले हैं। जहां 2005 में चार से पांच मेडिकल कॉलेज थें वहीं आज 18 मेडिकल कॉलेज हैं। आने वाले दिनों में पढ़ाई के लिए बच्चों को पलायन जैसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ेगा।
फ़ीस कम होना चाहिए
फीस के मामले पर मंत्री जीवेश मिश्रा ने कहा कि यह स्वास्थ्य विभाग का मामला है कि किन परिस्थितियों में फ़ीस को कितना कम किया जा सके। उन्होंने आगे कहा कि मेरा व्यक्तिगत मानना है कि फ़ीस कम होना चाहिए ताकि अपने बच्चे अपने राज्य में पढ़ सकें। प्रतिपक्ष बार-बार यह कह रहा है कि बजट बेकार है। जवाब में मंत्री ने कहा कि बजट प्रतिपक्ष को लोग पढ़ें ही नहीं हैं। अगर पढ़ लिए होते तो ऐसी बात नहीं करते। यह बिहार का ऐतिहासिक बजट है।