पटना: बिहार विधान मंडल के बजट सत्र में मंगलवार को एक बड़ा सियासी ड्रामा देखने को मिला, जब बीजेपी विधायक अरुण शंकर प्रसाद ने राज्य में शिक्षकों की बहाली को लेकर सरकार को घेर लिया। सदन में बहस इतनी तीखी हो गई कि शिक्षा मंत्री को सीधे जवाब देने के लिए बाध्य होना पड़ा। मामला टीआरई-3 परीक्षा से जुड़ा है, जिसमें मल्टीपल रिजल्ट आने की वजह से कई अभ्यर्थी बाहर हो गए और रिक्त पद फिर से खाली रह गए। बीजेपी विधायकों ने सरकार से सवाल किया कि क्या इन रिक्त पदों पर दोबारा बहाली होगी या नहीं?
मल्टीपल रिजल्ट से मचा हड़कंप
शिक्षा मंत्री के जवाब के अनुसार, बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) ने टीआरई-3 के तहत 8,886 रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए परीक्षा करवाई थी। लेकिन इस प्रक्रिया में कई पदों पर मल्टीपल रिजल्ट आ गए, जिसके चलते कई अभ्यर्थी बाहर हो गए और रिक्तियां बनी रह गईं।
बीजेपी विधायक अरुण शंकर प्रसाद ने शिक्षा मंत्री से सवाल किया कि “क्या सरकार इन रिक्त पदों पर बहाली के लिए अधियाचन भेजने जा रही है? आयोग ने पत्र में साफ लिखा है कि अगर शिक्षा विभाग अधियाचन भेजता है, तो वे इन रिक्त पदों को भरने के लिए तैयार हैं। फिर सरकार क्यों चुप है?”
सरकार का बचाव, लेकिन विपक्ष का हमला जारी
शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि “फिलहाल सरकार टीआरई-3 के तहत पूरक परिणाम जारी करने पर विचार नहीं कर रही है। आयोग ने उन्हीं विषयों में रिजल्ट प्रकाशित किया है, जिनमें न्यूनतम कट-ऑफ को पूरा करने वाले अभ्यर्थी उपलब्ध थे। जिन विषयों में अभ्यर्थी नहीं हैं या कट-ऑफ अंक प्राप्त नहीं कर पाए, वहां परिणाम नहीं जारी किया गया।”
लेकिन बीजेपी इस जवाब से संतुष्ट नहीं दिखी। विपक्षी विधायकों ने आरोप लगाया कि सरकार योग्य अभ्यर्थियों को जानबूझकर बाहर कर रही है और बिहार के शिक्षा तंत्र को कमजोर करने का काम कर रही है।
7,000 से अधिक अभ्यर्थी हुए प्रभावित
बीजेपी विधायकों ने दावा किया कि इस प्रक्रिया में 7,000 से अधिक अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया गया। जब आयोग खुद कह रहा है कि अगर शिक्षा विभाग अधियाचन भेजता है, तो बहाली की जा सकती है, तो सरकार क्यों पीछे हट रही है? क्या सरकार चाहती है कि ये पद खाली ही रहें?