बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की सुप्रीम कोर्ट पर की गई टिप्पणी से पार्टी ने पल्ला झाड़ लिया है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा का न्यायपालिका एवं देश के चीफ जस्टिस पर दिए गए बयान से भारतीय जनता पार्टी का कोई लेना–देना नहीं है। यह इनका व्यक्तिगत बयान है, लेकिन भाजपा ऐसे बयानों से न तो कोई इत्तेफाक रखती है और न ही कभी भी ऐसे बयानों का समर्थन करती है। भाजपा इन बयान को सिरे से खारिज करती है।
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उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने सदैव ही न्यायपालिका का सम्मान किया है, उनके आदेशों और सुझावों को सहर्ष स्वीकार किया है क्योंकि एक पार्टी के नाते हमारा मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय सहित देश की सभी अदालतें हमारे लोकतंत्र का अभिन्न अंग हैं तथा संविधान के संरक्षण का मजबूत आधारस्तंभ हैं। मैंने इन दोनों को और सभी को ऐसे बयान ना देने के लिए निर्देशित किया है।
क्या कहा था निशिकांत दुबे ने
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर धार्मिक लड़ाई को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट की कानून बनाएगा तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए। धारा 377 पर बात करते हुए निशिकांत दुबे ने कहा कि हाल ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी समलैंगिकता को अपराध बताते हुए सिर्फ महिला और पुरुष को मान्यता देने की बात कही थी। हिन्दू, मुस्लिम, बौद्ध, सिक्ख और जैन धर्म में भी समलैंगिकता को अपराध माना जाता है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट एक दिन अचानक से उठा और धारा 377 को ही खारिज कर दिया।
निशिकांत दुबे ने कहा कि राम मंदिर, कृष्ण जन्मभूमि और ज्ञानवापी मामले पर सुप्रीम कोर्ट कहता है कि पेपर दिखाओ। वहीं, मुगलों के आने के बाद देश में जो मस्जिदें बनीं, उनके लिए कहते हैं कि पेपर कहां से लाएंगे। सुप्रीम कोर्ट देश को तानाशाही की तरफ ले जाना चाहता है।