बिहार की राजनीति इन दिनों चुनावी गर्माहट से तप रही है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किए जाने के बाद सियासी बयानबाजी चरम पर पहुंच गई है। जनसुराज आंदोलन के संस्थापक प्रशांत किशोर ने तेजस्वी यादव और लालू यादव पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि जब सत्ता फिसलने लगती है तो नेता कुछ भी बोलने को तैयार हो जाते हैं।
प्रशांत किशोर ने तंज कसते हुए कहा कि “एक नहीं, पांच उपमुख्यमंत्री बना दीजिए, लेकिन इससे बिहार की सच्चाई नहीं बदलेगी। यह कोई नई घोषणा नहीं है, पहले से ही सब जानते हैं कि अगर लालू यादव का ‘जंगलराज’ वापस आता है तो मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ही होंगे।” उनके इस बयान को बिहार की राजनीति में ‘जवाबी प्रहार’ के रूप में देखा जा रहा है।
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उन्होंने आगे कहा कि “कुछ दिनों में तेजस्वी यादव कहेंगे कि वे बिहार को सोने की लंका बना देंगे। लेकिन बिहार के लोग अब भावनात्मक नारों से आगे बढ़ चुके हैं। लालू यादव के डर से भाजपा को और भाजपा के डर से लालू यादव को वोट देने की परंपरा इस बार टूटेगी। जनता इस बार जनसुराज को सशक्त विकल्प के रूप में देख रही है और गलती नहीं करेगी।”
प्रशांत किशोर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी बिहार यात्रा पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बिहार में कई बार आ चुके हैं, लेकिन बिहार की असल समस्याओं पर कभी गंभीरता से बात नहीं की। “प्रधानमंत्री मोदी को बताना चाहिए कि पिछले 15 सालों में बिहार से होने वाले पलायन को रोकने के लिए उन्होंने क्या कदम उठाए? क्यों बिहार के लोग आज भी गुजरात जाकर मजदूरी करने को मजबूर हैं?”
पीके ने कहा कि बिहार की सबसे बड़ी चुनौतियाँ आज भी वही हैं — बेरोजगारी, पलायन और अशिक्षा। “इन मुद्दों पर केंद्र और राज्य, दोनों सरकारें विफल रही हैं। अगर सच में बिहार का विकास चाहिए, तो बिहार को नारे नहीं, नई सोच चाहिए — और वह सोच जनसुराज के पास है।”






















