Obra Vidhansabha 2025: ओबरा विधानसभा क्षेत्र, जो औरंगाबाद जिले का हिस्सा है और करकट लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है, बिहार की राजनीतिक बहस में हमेशा से ही दिलचस्प मोड़ लेकर उभरा है। इस क्षेत्र का चुनावी इतिहास विविधताओं से भरा हुआ है, जिसमें कांग्रेस, समाजवादी, जनता पार्टी, भाजपा, राजद और वामपंथी दलों ने कभी न कभी जीत दर्ज की है। हालांकि पिछले कुछ दशकों में राष्ट्रीय जनता दल ने ओबरा में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है, विशेष रूप से 2005 से 2020 तक हुए चार में से चार चुनावों में जीत हासिल करके।
चुनावी इतिहास
2020 के विधानसभा चुनाव में बहुकोणीय मुकाबले ने क्षेत्र की राजनीतिक गहराई को सामने लाया। आरजेडी के ऋषि यादव ने लोजपा के प्रकाश चंद्र को 22 हजार से अधिक मतों के अंतर से परास्त किया। वहीं, जेडीयू के सुनील कुमार और रालोसपा के अजय कुमार क्रमशः तीसरे और चौथे स्थान पर रहे। निर्दलीय उम्मीदवारों और जाप के प्रत्याशियों ने भी स्थानीय राजनीति को चुनौती दी, लेकिन कोई निर्णायक प्रभाव नहीं डाल पाया।
जातीय समीकरण
ओबरा विधानसभा में जातीय समीकरण हमेशा निर्णायक साबित हुए हैं। स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस क्षेत्र में सत्ता परिवर्तन तब होता है जब कुशवाहा और भूमिहार मतदाता एक साथ किसी उम्मीदवार के पक्ष में एकजुट होते हैं। ओबरा के मतदाता वर्ग में अनुसूचित जातियों का हिस्सा 22.05% और मुस्लिम समुदाय का 8.4% है। इस क्षेत्र की ग्रामीण आबादी 84.49% है, जो चुनाव परिणामों में निर्णायक भूमिका निभाती है।
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चुनावी रणनीतियों के लिहाज से राजद ने यहां लगातार विकास और स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है, जिससे पार्टी को मजबूत जनाधार मिला। जबकि भाजपा और जेडीयू ने इस क्षेत्र में अपनी पैठ बनाने की कोशिश की, मगर जेडीयू अब तक यहां जीत दर्ज नहीं कर पाई है। ओबरा विधानसभा का भविष्य अगले चुनाव में बहुकोणीय मुकाबले और जातीय समीकरण के मिश्रण पर निर्भर रहेगा, जो इसे बिहार की राजनीतिक मानचित्र पर हमेशा महत्वपूर्ण बनाए रखता है।






















