पटना में 15 दिसंबर को बिहार की उच्च शिक्षा व्यवस्था ने एक नए नई दिशा की ओर कदम बढ़ाया, जब इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस के अधिकारी राजीव रोशन (Rajiv Roshan IAS) ने नवगठित उच्च शिक्षा विभाग के सचिव का पदभार ग्रहण किया। पद संभालते ही उन्होंने स्पष्ट संकेत दे दिए कि यह कार्यकाल केवल नीतियों की घोषणा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सरकार के हर निर्णय को धरातल पर उतारने की ठोस कोशिश होगी। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि प्रशासन की असली परीक्षा फैसलों के क्रियान्वयन में होती है और यही उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।
राजीव रोशन ने भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार ने जो जिम्मेदारी उन्हें सौंपी है, उसे वे पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ निभाएंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उच्च शिक्षा विभाग का कामकाज दो समानांतर लेकिन परस्पर जुड़े स्तरों पर चलता है। एक ओर अकादमिक और प्रशासनिक गतिविधियां लोकभवन से संचालित होती हैं, वहीं दूसरी ओर वित्तीय प्रबंधन और बजट से जुड़े निर्णय शिक्षा विभाग के माध्यम से किए जाते हैं। उनके अनुसार, इन दोनों व्यवस्थाओं के बीच बेहतर समन्वय स्थापित कर ही उच्च शिक्षा को नई मजबूती दी जा सकती है।
नए सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि उच्च शिक्षा विभाग का गठन केवल प्रशासनिक पुनर्गठन नहीं है, बल्कि यह बिहार के युवाओं के भविष्य से जुड़ा एक रणनीतिक कदम है। इसका उद्देश्य ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित करना है जो गुणवत्तापूर्ण होने के साथ-साथ व्यावहारिक और रोजगारोन्मुख भी हो। उन्होंने कहा कि पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्रों को नौकरी की तलाश में भटकना न पड़े, बल्कि शिक्षा के दौरान ही उन्हें बाजार की जरूरतों के अनुरूप कौशल मिल जाए।
राजीव रोशन का मानना है कि बिहार के युवा केवल डिग्रीधारी न रहें, बल्कि ऐसे स्किल्स से लैस हों जो उन्हें प्रतिस्पर्धी बनाएं। इसी सोच के तहत विभाग की नीतियों में स्किल डेवलपमेंट, इंडस्ट्री लिंक्ड कोर्स और रोजगार से जुड़ी ट्रेनिंग को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने विश्वास जताया कि यदि शिक्षा और वित्तीय प्रबंधन के बीच संतुलन बनाकर योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया गया, तो बिहार जल्द ही देश के अग्रणी राज्यों की कतार में खड़ा दिखाई देगा।
















