जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा ने पटना एयरपोर्ट पर ऐसा बयान दिया, जिसने बिहार की राजनीति में नई चर्चा शुरू करा दी है। शुक्रवार को दिल्ली से लौटते समय संजय झा के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार (Nishant Kumar) भी मौजूद थे। राजनीतिक गलियारों में पहले से ही इस बात की हल्की-हल्की चर्चा थी कि आने वाले दिनों में निशांत सक्रिय राजनीति में कदम रख सकते हैं, लेकिन संजय झा ने पहली बार इस संभावना को सबसे स्पष्ट और खुली भाषा में सामने रखा।

पटना पहुंचने के बाद संजय झा ने साफ कहा कि पार्टी, कार्यकर्ता और समर्थक सभी चाहते हैं कि निशांत कुमार अब खुलकर पार्टी की जिम्मेदारी संभालें और संगठन के कामकाज में सक्रिय भूमिका निभाएं। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब फैसला निशांत कुमार को ही लेना है कि वे कब पार्टी का कामकाज संभालने के लिए आगे आते हैं। यह बयान इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि 2025 में रिकॉर्ड 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले नीतीश कुमार अब उम्र और स्वास्थ्य की सीमाओं को पार कर चुके हैं।
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निशांत कुमार ने भी पिता नीतीश कुमार के कामों की तारीफ करते हुए कहा कि उनके पिता ने जो वादा किया है, वह वादा पूरा कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने रोजगार के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम करने की तैयारी कर ली है। पहले 50 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा था, जिसे अब बढ़ाकर 1 करोड़ लोगों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने भरोसा जताया कि नीतीश कुमार अपने हर वादे पर खरे उतरेंगे।

जदयू में नंबर दो की पोज़िशन पर वर्षों से कई चेहरे उभरे, लेकिन कोई भी नीतीश कुमार के नेतृत्व की बराबरी नहीं कर पाया। चाहे उपेंद्र कुशवाहा हों, प्रशांत किशोर हों, ललन सिंह हों या आरसीपी सिंह—हर किसी की उपयोगिता पार्टी में रही, पर वे ‘नंबर वन’ नीतीश कुमार के बराबर अपना कद नहीं बना सके। अब जब पार्टी और समर्थक दोनों ही निशांत को नई भूमिका में देखना चाहते हैं, तो सवाल यह है कि क्या जदयू अपनी भावी विरासत नीतीश कुमार के बेटे के हाथों में सौंपने की तैयारी कर रहा है।






















